तीन घरजवैं अर सासू गढ़वाली कहानी
Garhwali Story in Garhwali language
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समन्या दगड़यों आज की गढ़वाली कहानी च 3 घर जवें और तोंकी सासू जी की....
यीं कहानी मा सास च (गोदांबरी ) जो अपड़ी 3 ब्येटियो ब्यो 3 घर जवैयों का गैल करवे देंदी, वैंथे लग दू छै की यी तीनी घर जमैं डेरा कु काम सम्भाल देला पर सी तीनी जमें निकट्टू आलसी छया, ना त सी डेरा कु काम करदा और ना नौकरी करदा छां ।
यौ दिन गोदांबरी अपड़ी बेट्यों त बोलीदीन की तुम तींनी गौं जाण कु बानु बणे ल्या और 4 मैंना ले भेर जै की अपड़ा जवाईयों तें सबक सिखो ।
गोदांबरी जी अपड़ा तिनी जवैयों तें बुले की बात करदी
सासु -
"अवतार, विवेक, और सुमीत." देखा जवाईयां मैं तुम तीनों दग्ड बहुत मोह च, ये लै तुम थैं घर जमैं बणें की ल्याई
पहला जमाई -
माजी सीधा बोला ना क्या बोल्ण चांदा आप, आपेऽत इज्जत भी भौत करदा हम,
दूसरा जमाई -अप जन सासू अर कमौंदार बवारियां सब्यों तैं थोड़ी ना मिल्दी ।
तीसरा जमाई-हां मा यी द्वी ठिक बुना आपे नौनी दगड् ब्यो करी क जिंदगी मस्त ह्वेगी।
सासु
हा..... हा हा
जाणदु छौं मी, की तुम तीनी अपड़ी ब्वारीयों तें खुब प्यार करदा, मेरा लठ्यालों बात यन च की हमारा बामणों बोल्यूं छैं की बच्चा हूण से पैली शुरु का चार मैना गौं मा जैकी रैली जख मेरा चचा रैन्दा,
सुमीत
पर किलैं मा, गौं मा किलैं जै की रैंण
सासु
लठ्यालों हमारा परिवार तें योक श्राप च की अगर मेरी ब्येट्यून यख बच्चा जनी त् वौका नौन्यालों तें कुछ भी नखरू ह्वे सकदु । आज बटिन चार मैना तलक यौं तीनी व्येटियों तें गौं वाला घोर मा रैण पढ़लू |
पहला जमाई
त येमा परेशानी क्या च माजी, हम भी वख चली जौला और चार मैना तक मजा करला, ब्वारी जख तख हम...
दूसरा जमाई
हां रे आईडिया त बहुत अच्छू दीनी त्वीन, ये सैर मा रै की परेशान वेग्या हम, अब कुछ दिन गौं मा रौला मौज मनौला
सासु
तुम गणखणा कीलै नी, तु वैख तख क्वे नी जै सकदा ।
अर मैं यखी च तुम तीनों गैल। चार मासे त छुईं च । तैका बाद यी तीनी बौड़ी क यखी ऐ जौला ।
तीसरा जमाई
ठीक च माजी अगरा हमरा नौनयालों बात च यो त करण पढलो...
गोदावरी अपणी तीनी ब्येटियों तें गों भेज देंदी
कुछ दिन बाद
पहला जमाई - मा बौत दिन बटीन मोमोंज नी खै, जरा मगवें द्या
सासु
क्या बतौण जवैं जी पल्ली त नौनी खर्चा दे देंदी छैं, किलें की वोंकी नौकरी छै, अब मैमा विकुल भी खर्चा नी ,अब कु देलू खर्चा
दूसरा जमाई -
मां अभी त आपे ब्येटीयों तें बौणी के औण मा 3 मैंना बच्यां च ।
सासु
हम्म........
वें त सोची सोची परेशान हुणु च में., स्वचणु छौं की भोल बटीन दूध भी बंद कर वे देंदू । अब दूदू वाला तें भी पैसा देंणा ले पैसा नी मैमा।
जमाई
ना माजी दूद बंद कर देला त मेरी चार बखते चाई क्या होलू ।। ये का बिना त मैं मरी जौलू।
सासु
क्या कन जमेई... और क्वी बाटु भी त नी दिखेंणु मैं..... पैसे नी बच्यां मैंम ।
अब तीनों जमैयों को घर से खर्च मिलना बंद हो चुका था और तीनों जमाई. परेशान होने लगे थे, एक दिन तीनों जमाई बाजार
जाते हैं और बाहर निकालने के बाद
दूसरा जमाई -
यार बौत दीन बटी भैरा कुभलू खाणु नी खै जणी कब खैला हम भल्लू खाणु ।
पहला जमाई -
हमारी व्वारियों जाणा बाद त हम भिखारी जन हवेग्या यार।
कुछ भी वे जौं आज श्याम बक्त तलक मैंन त मोमो खाणें च यार ।
तीसरा जमाई
खीसा खाली च अर बडू हूंयूं मोमोज खाण वालू, कख बटीन औला पैसा।
दूसरा जमाई -
तो पार देख कम्प्यूटर मा काम करणा लै योंतें मनखी जरूरत च बल । भई मैंत जाणु च काम कन तब जे की श्याम बक्तों मोमो खाण कु जुगाण ह्वे सकलू ।
तीसरा जमाई
जा रे जा त्ये जन कैं क्वे काम नीं देंण वालू ।
पहला तीसरा
हम त घौर चलदा.... चल यार
विवेक तें काम मिल जांदू, और वो पूरा दिन कम्प्यूर मा काम करदू| श्याम बक्त विवेक द्वी हजार रुपया ल्ये की घौर औंदू अर अपड़ा खाण का वास्ता अच्छी चीज भी ल्ये की ओंदू,
वेकै देखी की अवतार अर समीता मन मा भी पैसा कमौण की इच्छा हूंदी ।
सासु
सुवेर सुबेर बिन ख्यां तेयार वै की कख?
विवेक
मां मेंते बहुत अच्छी जगा काम मिली । दिन मा काम करणा लै द्वी हजार और पक्की नौकरी मा ५० हजार तनखवा मिलली ।
सासु
अरे सच्ची या बहुत बढ़िया बात च जवें जी
सुमित और अविनाश विवेक की तरक्की को देखकर परेशान हो जाते हैं और वह दोनों भी काम के तलाश में निकल जाते हैं कुछ दिन में उन्हें भी काम मिल जाता है अब गोदावरी के तीनों दामाद अच्छी खासी नौकरी करके अच्छा खासी तनख्वाह ले रहे थे ।
सासु
एक दिन गोदावरी उन्हें अपने पास बुलाती है और कहती है
अवतार ' सुमीत और विवेक अब तुम तीनों खासाकाम लेते हो ।
सुमित
हां मा बोत मा जा ऊणु काम कन मा। जब महिना मा मोटी तन्खवा हाथ मां मिल्दी ।
अवतार
घोर मा रैकी, रोटी और खाणु बणौण पढ़णु छै मैंतें ।
सासु
हां लढ्यालों तुम तीनों बात त बिल्कुल ठी च, पर तुम तीनों व्वारी भी बौड़ी की घर औण वाली च ।
विवेक
मांजी अभी उथें औण मा यों मैना बच्यूं च, आपन बोली छे वीं चार मै ना पूरी हुणा बाद घर औला बल
हा हा हा... यन कुछ नी लढ्यालों में तब बस तुम तीनों तें कामकाजु बणौण चांदू छै, लड़का घोर बैठी की अपड़ी ब्वारियों कमैं खादं करव भलू लगदू I ये दुनिया मा सब्यों तें मैनत कन जरूरी च चाहे स्वो वैख हो फिर कज्याण,ताकी स्वो अपड़ी कुटुमदारी संभाल सके । गोदावरी बात सोणी के ऊंतीनों तें अपड़ी गलती पता चलदू अर गोदावरी ऊं तीनों तें सच बथै देंदी, की ऊकी तीनी ब्येटी ये शैर मा और कखी रैणा छा, श्याम बक्त ऊँ तीनी घर बौणी की ऐ जांदी । अब गोदावरी परिवार यो खुशहाल परिवार बाण जांदूं ।
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