Garhwali Kavita Jay Vishal 'Garhdesi' - Preetey Jhaul Maa
गढ़वाली कविता प्रीतैं की झौल मा - जय विशाल रावत गढ़देशी
garhwali kavita
youtube link...
इस कविता को पढ़ने के साथ सुन ने का भी आनंद लें,....ऑडियो को प्ले करें👇
....................................................................................
तेरी प्रीत का झोल मा श्री विशाल रावत (गढ़देशी) कविता
कविता का बोल छिना....
"छड़ - छड़ू छपोड़ी डामी तेरी प्रीत का झोल मा "
वैसे पैली गढ़ की माया तें समर्पित द्वी लैन...
कोंतीयली आँखी, छाली झिकुड़ी
छालू वरण, छाली आवाज़
स्वाणी मुखुड़ी, रुपवान, गुणवान,
दादी कि नत्योंण, बांध सी ओनार
भाग्यनों कु जन ज्वोग,
त्येरु आंख्यों कु परदा
बुलाणीदों स्गवौर..
विचारों मा आदर छबलांदा, हाव भाव मा सत्कार
सज्यां धज्यां लोग पहुंचयां छ्न
त्वे द्खणों तें मौन रख्यूं, फिकू करेगे तू सबू कू श्रंगार...
कन करी बिंगों में त्वेतें आज भी कतीगा प्यार करदू
तेरा प्यार मा भितरैं - भितर बूसी ग्ये, झिकूड़ी भितरै भितर गौली ग्ये, अगल बगल मांस झौड़ी ग्ये
भैर बे चमड़ीऽरभितर बे हड़गी रैग्ये
कन करी बिंगों में त्वेतें आज भी कतीगा प्यार करदू
तेरा प्यार मा भितरैं - भितर बूसी ग्ये, झिकूड़ी भितरै भितर गौली ग्ये, अगल बगल मांस झौड़ी
भैर बे चमड़ीऽरभितर बे हड़गी रैग्ये।
त्येरा बरा मा स्वोच स्वोची मैं भूख नी लगदी
जम ज्याली भटकी ग्ये,
मुखड़ी चूसी आम जन ह्वेग्ये,
अब डौर लगी की इणम्या मा मैं बोल्या ना ह्वेजौं
दब्ता पूजण सूरु कली, ज्वग्यांणा पौड़ियूं छौं
चाहे सारी ज़िंदगी कमैं चल जौ धूप अगरबत्ती अर त्यौल मा
रिस्तादार अर द्यो दब्तों भी बिसरी छो मी
त्येरी प्रितैं की झौल मा
छड़ -छ्डू छपोड़ी डामी त्येरी प्रितैं की झौल मा
नोकरी नी रईं ग्ये, बिजनिस कै कैऽकू चलणुगो
हर दूसरा दिन बामण म्येरु पातडूं देखणूंगो
कबी छाबड़ा अणोखणुगो, कबी इकाड्या रवट्टा अणोखणुगो
हर ज्योठागा - पूसा मैंना मेरु छौल पूजणूं
नोकरी नी रईं ग्ये, बिजनिस कै कैऽकू चलणुगो
हर दूसरा दिन बामण म्येरु पातडूं देखणूंगो
कबी छाबड़ा अणोखणुगो, कबी इकाड्या रवट्टा अणोखणुगो
हर ज्योढ़गा - पूसा मैंना मेरु छौल पूजणूंगो
अर त्ये दगड़ी बितायीं वा कू घडी याद औंदी
त सच क्या बतों मैं अबी बी कडकडू ह्वे जांदू
कती बार बच्चूं मर मरी मी,
फलाणें कू बाबू बूलावा,फलाणें की ब्वारी बूलावा
सब खौलों मा कठ्ठा करयां द्ब्तों का ओतरी - ओतरी
क्वे दब्ता बूना मैं साथ चल रहा हूं ।
क्वे बूनू तीन बार मैंने बचाया
खोली बे यौ द्येबी उणी...
खोली बे यौ द्येबी उणी,
द्येबी बूनी भोटिया मुझे भूल गया
जबारी जैकू मौन बूनू वे थपड्योंणु ओतरी - ओतरी
थपड्ये - थपड्ये मेरा जमजयाला लाल कर्यां
जुन्याल मार - मारी सारी द्ये पर दामला कर्यां
बतों त बतों में दब्तों तें कन करी के बतों
में कैकू नी छलियूँ
मा मूंगा पैंसा तिम्णया उच्याणु धरी धरी
ब्यो कु खर्चा लगी सब छौल मा...
अणब्यो मा बौड़ा बणयूं त्येरी प्रितैं की झौल मा
छड़ -छ्डू छपोड़ी डामी त्येरी प्रितैं की झौल मा
अब सूणेंणु त्येरु ब्यो मंग्येंणु
तुम्हारु चलायूं लड़का पड्युं- लिखयुं बिजनस मैन च
मेरी सिर्फ यक्कू इच्छा च की यू रिश्ता जुड़ाई कैन च
वै पर क्या च ? अर मैंपा क्या नीं ।
जाणी तेरा बाबऊ क्या पसंद आई ?
वैकी त मौने हुईं...
जाणी तेरा बाबऊ क्या पसंद आई ?
वैकी त मौने हुईं...
अर तुम बिजनेस मैने च धौंस जमौंणा
बिजनेस वैकू दादा छो
आज त कोक पैपसी ब्यचणु
बिजनेस वैकू दादा छो,
जो वैका दादाऽन बिजनेस चलाई
चाई - पकोड़ी, अर स्योवा मा
मी बिरोजगारों मा गीणेंणु त्येरी प्रितैं की झौल मा
छड़ -छ्डू छपोड़ी डामी त्येरी प्रितैं की झौल मा
लठ्याली सची किलई कभी त्येतें मेरी याद नीं आईं
क्या पाईं त्वीन या कथा बणें
पर माया कु प्रित को हिसाब देंण पढ़लु
तु त्बै बिंगली जितें झीकुड़ी प्यार करदी वैं बिगर कती खुदेंदू पारण
क्या ल्याया छया ये दुनिया मा,
ये दुनिया बै क्या लिजाण
जनम भी उबारी हूंयू
जबारी जनम हूंदू छै शाई भितर मवौल मा
आज सि मंटा का भितर टटगारियूंणु
त्येरी प्रितैं की झौल मा
त्येरी प्रितैं की झौल मा
अभी त मैन ब्वौली नी त्वींन त किलैं बोन्न
ना लुकै सकदी ना बतैं सकदी,
हम सची नी होला चितौणा
सै ल्येला रै ल्येला, बुलाण तक कर देल परेज
खुदाणों तुम करऽदे इलाज,
सौगा त नी तुम्हारा भला पर भलु लगादु तुम्हारु साज बाज
मेणी - बाबोंन सैती पाई पाढ़ये - लिखाये
वैका हिसाब से मैंन इंजीनीयर या डौकटर रौण छो
मेरी गलती च यख भी वख भी संगता मेरी गलती च
पर त्येरु किलै अटगायूं रै मि गौला मा
आज सरा बाजार पुनों जन लाटू हूंयूं
त्येरी प्रितैं की झौल मा
छड़ -छ्डू छपोड़ी डामी त्येरी प्रितैं की झौल मा
....................धन्यवाद...................
0 Comments